Saturday, May 14, 2011

यहां हर लड़की 40-45 हजार महीना कमाती थी - फर्जी फ्रेंडशिप क्लब का भंडाफोड़


क्राइम ब्रांच ने अखबारों में विज्ञापन देकर फ्रेंडशिप कराने और मसाज की ट्रेनिंग दिलाने के नाम पर युवकों से ठगी करने वाले रैकेट का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने इस रैकेट में शामिल 26 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें 20 लड़कियों और 5 लड़कों के अलावा एक महिला भी है , रैकेट का सरगना फरार बताया जा रहा है। पुलिस ने जनकपुरी डिस्ट्रिक्ट सेंटर की बिल्डिंग में तीन फ्लोर पर चल रहे इस सेंटर के दफ्तर को सील कर दिया है।

डीसीपी ( क्राइम ) अशोक चांद के मुताबिक , सूचना मिली थी कि राजधानी में एक साल से फर्जी फ्रेंडशिप क्लब और मसाज पार्लर ट्रेनिंग सेंटर युवकों से ठगी कर रहा है। रैकेट से जुड़े लोग अलग - अलग नामों से अखबारों में इश्तहार देते थे। फ्रेंडशिप क्लब के लिए जहां वह ' हनिमून नाइट्स फ्रेंडशिप क्लब ' का इस्तेमाल करते थे , वहीं मसाज देने की ट्रेनिंग दिलाने के लिए काकुल मसाज पार्लर , शीला मसाज पार्लर , शीतल मसाज पार्लर , काया मसाज पार्लर और प्रतिज्ञा मसाज पार्लर आदि नामों का। ये लोग दिल्ली के अलावा यूपी , गुजरात और आंध्र प्रदेश के अखबारों में भी विज्ञापन देते थे।

डीसीपी ने बताया कि इन इश्तहारों में दिए गए नंबर पर जब कोई युवक फोन करता था , तो ये उसे तरह - तरह के प्रलोभन देकर फांस लेते थे। कॉलर जब इनकी बातों में आकर क्लब से जुड़ने को तैयार हो जाता था , तो ये उससे पहले रजिस्ट्रेशन मनी के तौर पर एक हजार रुपये की डिमांड करते थे। पेमेंट जमा करने के लिए कॉलर को एक बैंक अकाउंट नंबर दिया जाता था। उसके बाद कॉलर को तीन कैटिगरी की महिला मित्रों के बारे में बताया जाता था। पहली कैटिगरी 7 हजार , दूसरी 5 हजार और तीसरी कैटिगरी 3 हजार रुपये की थी। जब युवक इनमें से एक कैटिगरी चुनने के बाद अकाउंट में रकम जमा कर देता था , तो उसे रैकेट से जुड़ी कुछ लड़कियों के नंबर दे दिए जाते थे। ये लड़कियां कॉलर से निश्चित समय तक ही बात करती थीं और कुछ समय के बाद उनके फोन उठाने बंद कर देती थीं।

डीसीपी ने बताया कि मसाज करने की ट्रेनिंग पाने की इच्छा रखने वाले युवक जब इन्हें कॉल करते थे , तो उन्हें प्रलोभन दिया जाता था कि उनकी ट्रेनर महिला होगी। इसके लिए उन्हें 7 हजार रुपये जमा कराने होंगे , जबकि मसाज किट के नाम पर उनसे 3750 रुपये अतिरिक्त मांगे जाते थे। एक बार खाते में पैसे आ जाने के बाद रैकेट के लोग कॉल रिसीव करना बंद कर देते थे।

डीसीपी ने बताया कि इस मामले में दिनेश (27), हितेंद्र रावत (24), सचिन पाल (22), सुनील (26) और राजेश सिंह उर्फ सोनू (26) को गिरफ्तार किया गया है। 20 लड़कियों को भी गिरफ्तार किया गया है , जिनकी उम्र 19 से 24 साल के बीच बताई जा रही है। इनमें अधिकतर ग्रैजुएट और स्कूल ड्रॉप आउट हैं। पुलिस ने इस मामले में 40 साल की महिला को भी अरेस्ट किया है , जो इन लड़कियों का सुपरविजन करती थी। पुलिस रैकेट के सरगना राजेश सिंह को तलाश कर रही है

यहां हर लड़की 40-45 हजार महीना कमाती थी

फर्जी फ्रेंडशिप क्लब और मसाज ट्रेनिंग के जरिए इस रैकेट से जुड़े लोग मोटी कमाई करते थे। महज फोन पर बात करके गैंग से जुड़े लोग युवकों से हजारों रुपये की ठगी कर लेते थे। यह कलेक्शन लाखों में बैठती थी। पुलिस की मानें तो इस रकम का बंटवारा रैकेट के मेंबर की ठगी में भूमिका के आधार पर होती थी। हर लड़की को जहां प्रतिमाह 40 से 45 हजार रुपये मिलते थे , वहीं रैकेट को प्रतिदिन औसतन डेढ़ लाख रुपये की कमाई होती थी।

पुलिस के मुताबिक , जब क्राइम ब्रांच ने जनकपुरी स्थित डिस्ट्रिक्ट सेंटर में रैकेट के दफ्तरों पर रेड डाली तो मौके से 2 लैपटॉप , 60 मोबाइल फोन के अलावा कॉलर्स की डिटेल मिली , जिन्हें सीज कर दिया गया। इन दस्तावेजों के जरिये रैकेट की अंधी कमाई की कहानी भी पुलिस को पता चली है।

पुलिस ने बताया कि डिस्ट्रिक्ट सेंटर के तीन अलग - अलग फ्लोर से ऑपरेट करने वाले इस रैकेट की मासिक उगाही लाखों में थी। रैकेट से जुड़े लोग एक फ्लोर का जहां 23 हजार रुपये प्रतिमाह किराया देते थे। वहीं , दो अन्य फ्लोर का 15-15 हजार रुपए मासिक किराए के रूप में भुगतान किया जाता था।

पुलिस के मुताबिक , रैकेट में अहम भूमिका अदा करने वाली 20 लड़कियों को सबसे ज्यादा आर्थिक लाभ होता था। उन्हें प्रतिमाह 40 से 45 हजार रुपये मिल जाते थे। इसके अलावा प्रत्येक क्लाइंट से मिलने वाली कुल रकम का 5 फीसदी कमिशन के तौर पर उन्हें दिया जाता था। 19 से 24 साल की 20 लड़कियां इस गैंग में थीं। इनमें अधिकतर ग्रैजुएट हैं , जबकि कुछ स्कूल ड्राप आउट बताई जा रही हैं। पुलिस ने साफ किया कि चूंकि इस काम मंे लड़कियों को बिना किसी हार्ड वर्क के मोटी कमाई हो रही थी इसलिए वे इससे जुड़ी हुई थीं।

पुलिस ने बताया कि इस गैंग के सरगना राजेश सिंह की मदद के आरोप में गिरफ्तार दिनेश , सचिन और हितेंद्र ग्रैजुएट हैं , जबकि राजेश उर्फ सोनू स्कूल ड्रॉप आउट। राजेश उर्फ सोनू और सुनील को जहां ऑफिस मैनेजर की डेजिगनेशन थी , वहीं हितेंद्र और सचिन पर बैंक ट्रांजेक्शन की डिटेल संभालने का जिम्मा था। दिनेश को अखबारों मंे विज्ञापन देने का जिम्मा सौंपा गया था।

1 comment:

  1. hii.. Nice Post

    Thanks for sharing


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